TAJMAHAL KAHAN HAI
What is the Taj Mahal?
The Taj Mahal is a mausoleum complex in Agra, western Uttar Pradesh state, northern India. It is considered the finest example of Mughal architecture (a blend of Indian, Persian, and Islamic styles). The Taj Mahal is also one of the world’s most iconic monuments, visited by millions of tourists each year. The complex was designated a UNESCO World Heritage site in 1983.
When was the Taj Mahal built?
Building of the Taj Mahal began about 1632. The mausoleum itself was completed by about 1638–39. The adjunct buildings were finished by 1643, and decoration work continued until at least 1647. In total, construction of the 42-acre (17-hectare) complex spanned 22 years.
Why does the Taj Mahal change colours?
The Taj Mahal is built of white marble that reflects hues according to the intensity of the sunlight or the moonlight.
TAJ MAHAL IN HINDI – ताज महल की पूरी जानकारी पढ़ें
आज के आर्टिकल में हम ताज महल (TAJ MAHAL IN HINDI) के बारे में पढ़ेंगे। इसके अन्तर्गत हम ताजमहल की जानकारी (Taj Mahal ki Jankari), ताजमहल कहाँ है (TajMahal Kahan Hai), ताजमहल किसने बनवाया था (Taj Mahal Kisne Banaya Tha), ताजमहल का रहस्य (Taj Mahal Ka Rahasya), काले ताजमहल का रहस्य (Kale Taj Mahal Ka Rahasya) और जामा मस्जिद (Jama Masjid) के बारे में जानेंगे
। ताज महल की जानकारी – Taj Mahal ki Jankari स्थान – उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर में किस नदी पर – नर्मदा नदी किसने बनाया – शाहजहाँ ने समय – 1631-1653 ईस्वी (22 साल) किसकी याद में बनाया – मुमताज महल खर्चा – उस समय 20 लाख रुपए वास्तुकार – उस्ताद अहमद लाहौर ऊँचाई – 73 मीटर मीनारें – 4 मीनारें (40 मीटर ऊँची)ताज महल (Taj Mahal) दुनिया के सात अजूबों में से एक है जो मुगलकालीन वास्तुकला का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। ताज महल कुतुबमीनार से भी ऊँचा है, क्योंकि ताज महल की ऊँचाई 73 मीटर, जबकि कुतुबमीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर है। दुनिया का हर एक इंसान ताज महल (Taj Mahal) को देखने की चाह रखता है। इसे ’मोहब्बत का मंदिर’ कहा जाता है। यमुना नदी पर स्थित यह इमारत एक विस्मरणीय स्थल है। शाहजहाँ की सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल – 10 मई 1612 ईस्वी में शाहजहाँ और अर्जुमन्द बानो बेगम का निकाह हुआ था। शाहजहाँ ने उन्हें ’मुमताज महल’ नाम दिया अर्थात् महल का सबसे अनमोल रत्न। उस समय शाहजहाँ की सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल थी। मुगल बादशाह शाहजहाँ का शासनकाल 1628 ई. से 1658 ई. तक था। 1631 ई. में शाहजहाँ ने अनेक विजय करके अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया था। 1631 ईस्वी को मुमताज महल की मृत्यु अपने 14 वीं संतान को जन्म देते वक्त हो गई थी। मुमताज महल के शव को पहले बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) के एक बाग में दफनाया गया, लेकिन बाद में उसके अवशेषों को आगरा लाया गया तथा ताज महल के मध्य में ’मुमताज की कब्र’ बनायी गई। आम प्रचलित धारणा यह है कि इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी सबसे प्रिय एवं तीसरी बेगम मुमताज महल की मौत के बाद उनकी याद में बनवाया था। शाहजहाँ चाहते थे कि दुनिया मुमताज महल और उनकी प्रेमकथा को हमेशा याद रखे, इसलिए उनकी याद में शाहजहाँ एक ऐतिहासिक धरोहर बनाना चाहते थे, जिसमें ताज महल बनाना चाहते थे। मुमताज महल का मूल नाम था, यह आसफ खां की पुत्री थी। ताज महल (Taj Mahal) को एक वफादार आशिक का खिराज कहा जाता है। ताज महल कहाँ है – TajMahal Kahan Hai ताज महल भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर बनी एक ऐतिहासिक इमारत है। ताजमहल किसने बनवाया था – Taj Mahal Kisne Banaya Tha मुमताज महल की स्मृति में ही शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण करवाया था। ताज महल (Taj Mahal) का निर्माण 1631 में शुरू हुआ और 1653 तक चला था। ताज महल बनने में 22 साल लगे। इसके निर्माण में इतना समय इसलिए लगा क्योंकि इसके निर्माण में सहायता के लिए बगदाद तथा शिराज से हस्तकला विशेषज्ञ, गुंबद निर्माण कला के लिए कुस्तुनतुनिया से, फूल पत्ती की खुदाई हेतु बुखारा से शिखर निर्माण एवं बाग बगीचा निर्माण के लिए, समरकंद से कुशल विशेषज्ञों को बुलाकर ताज महल का निर्माण पूरा करवाया था। इसके निर्माण में उस समय शाहजहाँ ने 20 लाख रुपए का व्यय किया था। ताजमहल के निर्माण के लिए विभिन्न देशों से कारीगर शाहजहाँ द्वारा बुलवाये गये थे। इसके निर्माण में लगभग 25 हजार से भी ज्यादा मजदूर ने काम किया था। भारत के अलावा फ्रांस और टर्की के मजदूर भी सम्मिलित थे। ताज महल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने भारत, ईरान एवं मध्य एशिया से डिजाइनरों, इंजीनियरों एवं वास्तुकारों को एकत्र किया था। ताज महल के दीवारों पर जो नक्काशी है इसकी तकनीक इटली के कारीगरों से सीखी गई थी। उज्बेकिस्तान के बुखारा से संगमरमर को तराशने वाले कारीगर लाये गये थे। ईरान से संगमरमर पर सुलेख करने वाले कारीगर आये थे। पत्थर को तराशने के लिए बलूचिस्तान के कारीगरों को बुलाया गया था। दक्षिण भारत से पच्चीकारी के कारीगर इनमें शामिल थे। ताज महल की वास्तुकला में भारतीय, ईरानी एवं मध्य एशियाई वास्तुकला का संबंधित समन्वय दिखाई पङता है। ताजमहल के डिजाइनर कौन थे – Taj mahal Ka Design Kisne Banaya Tha ताज महल के वास्तुकार/डिजाइनर उस्ताद अहमद लाहौर थे, जिसे शाहजहाँ में नादिर-उल-असरार की उपाधि प्रदान की थी। उस्ताद अहमद लाहौरी की योजनानुसार इसका निर्माण कार्य ’उस्ताद ईसा खां’ की देखरेख में संपन्न कराया गया तथा ये ताज महल के प्रधान शिल्पी थे। कुछ विद्वानों के अनुसार इसकी रूपरेखा वेनिस (इटली) के प्रसिद्ध वास्तुकार जेरोनिमो वेरोनियो ने तैयार की थी। ताज महल पर कुरान की आयतें लिखने वाला सुलेखक ’अब्द अल हक अमानत खान शिराजी’ था। ताज महल के निर्माण की प्रेरणा कहाँ से मिली – Taj Mahal Ke Nirman Ki Prerna Kahan Se Mili ताज महल का निर्माण पर्शियन और प्राचीन मुगल परम्परों को ध्यान में रखते हुए किया गया। जिसमें अधिकतर प्रेरणा उन्हें मुगलकालीन दूसरी इमारतें जैसे – हुँमायूँ का मकबरा, जावा मस्जिद से मिली। शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण दिल्ली स्थित हुमायूँ के मकबरे से प्रेरित होकर करवाया था। ताज महल किस पत्थर से बना है – Taj Mahal Kis Pathar Se Bana Hai ताजमहल सफेद संगमरमर पत्थर से बना है। यह सफेद संगमरमर पत्थर राजस्थान के मकराना से मंगवाया गया था। ताज महल का डिज़ाइन – Taj Mahal Ka Design प्राचीन मुगल काल में प्रायः इमारतों का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया जाता था, लेकिन शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण सफेद संगमरमर से किया। ताज महल नदी के किनारे बना हुआ है। कहा जाता है कि 37 वास्तुकारों ने मिलकर ताज महल का नक्शा तैयार किया था, ये 37 वास्तुकार दुनिया के दूर-दूर कोने से बुलाये गये थे। ताज महल की नींव बनाते समय ताज महल के चारों ओर बहुत-से कुँए खोदे गये। इन कुँएओं में ईंट, पत्थर के साथ आबनूस और महोगनी की लकङियों के लट्ठे डाले गए। ये कुएँ ताज महल की नींव को मजबूत बनाते है। आबनूस और महोगनी की लकङियों की यह खासियत होती है कि इनको जितनी अधिक नमी मिलती है, यह उतनी ही ज्यादा मजबूत होती जाती है। ताज महल का आधार इन्हीं लकङियों पर बना है। इस नमी को पास में बहने वाली यमुना नदी बनायी रखती है। ताज महल (Taj Mahal) को जाने वाले मुख्य मार्ग के बीच जो फव्वारे लगे है वो किसी पाइप से नहीं जुङे। अभी तो हर फव्वारे के नीचे तांबे का एक टैंक है। ये टैंक एक ही समय में भरते है और दबाव बनने पर एक साथ ही पानी छोङते है। ताज महल के चारों ओर मीनारों की छाया एक अलग ही आयने जैसा प्रतिबिम्ब निर्मित करती है। इसे भी लोग एक चमत्कार ही मनाते है। बल्कि वास्तुशिल्प भी इस रहस्य को समझ नहीं पाये है। ताज महल मनमोहक गार्डन एवं ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है। ताज महल में मकबरे और मेहमानघर का भी समावेश है। साथ ही उनके दोनों और गार्डन भी है। ताज महल में दो समाधियाँ है- एक मुमताज महल की तथा दूसरी शाहजहाँ की। लगभग 17 हैक्टेयर जमीन पर ताज महल का परिसर फैला हुआ है। ताज महल की कुल ऊँचाई लगभग 73 मीटर है। ताज महल कितने रंग बदलता है – Taj Mahal Kitne Rang Badalta Hai ताज महल दिन में अलग-अलग समय में अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है। सुबह के समय ताज महल हल्का-सा गुलाब और शाम में सफेद तथा रात में हल्का सुनहरा दिखाई पङता है। लोगों का रंगों के बदलने से तात्पर्य महिलाओं के मूल स्वभाव के बदलने से है। ताजमहल के लिए विभिन्न देशों से मंगवाये गये कीमती पत्थर – Taj Mahal Ke Liye Vibhinn Deshon Se Magvaye gye kimti ptthar शाहजहाँ ने मुगल वास्तुकला के साथ भारत के प्राचीन इतिहास को मिला दिया था। देश कीमती पत्थर राजस्थान के मकराना से सफेद संगमरमर पत्थर चीन जेड और क्रिस्टल अफगानिस्तान लैपिज लजूली तिब्बत टरकोईज पंजाब जैस्पर श्रीलंका सैफायर (नीलम) अरब कार्नेलियन इन कीमती पत्थरों को ताज महल में जङा गया था। ताज महल को 28 तरह के कीमती पत्थरों से सजाया गया है, जो कई देशों से लाये गये थे। इन बहुमूल्य पत्थरों को आगरा लाने के लिए 1000 से अधिक हाथी यातायात हेतु प्रयोग किये गये थे। बाद में 1857 की क्रान्ति के दौरान अंग्रेजों ने ताज महल को काफी नुकसान पहुँचाया, उन्होंने लैपिज लजूली जैसे कई बेकिमती रत्नों को ताज महल की दीवारें से खोदकर निकाल लिया था। ताज महल के विभिन्न हिस्से – Taj Mahal Ke Vibhinn Hisse बेगम मुमताज महल एवं शाहजहाँ का मकबरा ताज महल (Taj Mahal) के केन्द्र में ’मुमताज महल का मकबरा’ है। जो लगभग 42 एकङ जमीन पर फैला हुआ है। बेगम मुमताज महल की कब्र बङी और सफेद मार्बल से बनी हुई है। उनकी कब्र को काफी अलंकृत किया गया है। इनकी कब्र का मुख दायें अर्थात् मक्का की तरफ है। मुमताज महल की कब्र आन्तरिक कक्ष में स्थित है। उनकी कब्र का आधार लगभग 55 मीटर का बना है। उनकी कब्र का आधार एवं ऊपर का शृंगार-दान दोनों ही बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों से जङे है। इस पर किया गया सुलेखन मुमताज की पहचान एवं प्रशंसा है। औरगंजेब ने शाहजहाँ की कब्र भी मुमताज महल की कब्र के पास ही बनावा दी थी। शाहजहाँ की कब्र मुमताज महल की कब्र के दक्षिण की तरफ है। ताज महल के पीछे एक बहुचर्चित कथा भी है, जिसके अनुसार मानसून की पहली वर्षा में पानी की बूँदें इनकी कब्र पर गिरती है। जैसा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर के इस मकबरे के वर्णन से प्रेरित है। गुंबद ताज महल के शीर्ष पर एक विशाल गुंबद बना हुआ है। ताज महल के मुख्य गुम्बद का जो कलश है वह किसी जमानें सोने का हुआ करता था। लेकिन 19 वीं शताब्दी के शुरू में सोेने के कलश को बदलकर कांसे का कलश लगवा दिया गया था। इसके कलश के ऊपर चंद्रमा की आकृति बनी हुई है और यह कलश त्रिशूल जैसा प्रतीत होता है जो भगवान शिव का प्रतीक है। मीनारें ताज महल की हर नींव वाले कोने में एक-एक मीनार है, चारों मीनारें मकबरे को सन्तुलन देती है। ये चारों मीनारें 40 मीटर ऊँची है, और इनको बाहर की ओर हल्का-सा झुकाव दिया गया है। ताकि ये मीनारें भूकम्प जैसी आपदा में मकबरे पर न गिरकर बाहर की ओर गिरे। दूसरे विश्व युद्ध 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद ताज महल की सुरक्षा के लिए इसके गुम्बद के चारों ओर बाँस का सुरक्षा घेरा बनाकर इसे हरे रंग की चादर से ढक दिया गया था। ताकि ये दुश्मनों की नजर से बचा रहे। ताज महल पर लिखे गए सुंदर लेख ताज महल के मुख्य दरवारे पर एक सुलेख लिखा जो वहाँ आने वालों का स्वागत करता है – ’’हे आत्मा ! तू ईश्वर के पास विश्राम कर। ईश्वर के पास शांति के साथ रहे तथा उसकी परम शांति तुझ पर बरसे।” यह सुलेख थुलूट लिपि में है, इसको डिजाइन करने वाला ’अब्दुल हक’ था। जिसे ईरान से बुलाया गया था। शाहजहाँ ने उसकी चकाचौंध करने वाली कला को देखकर उसे उपाधि के तौर पर ’अमानत उल खाँ’ का नाम दिया। ताज महल में बनी छतरियाँ ताज महल के विशाल गुबंद को सहारा देने के लिए छोटे-छोटे आकार की छतरियाँ बनी हुई है। इन छतरियों द्वारा ही मुमताज महल के मकबरे पर शानदार रोशनी पङती है। काले ताज महल का रहस्य – Kale Taj Mahal Ka Rahasya शाहजहाँ यमुना नदी के दूसरी तरफ काली संगमरमर से ताज महल जैसा ही एक और काला ताज महल बनाना चाहते थे, जिससे वो ताज महल की खूबसूरती को देख सके। साथ ही उनकी इच्छा थी कि उनकी कब्र को काले ताज महल में दफनाया जाये। पर शाहजहाँ को जब उसके बेटे औरगंजेब ने कैद कर लिया, तो उसका ये सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया। लेकिन इतिहासकार कहते है कि ये बाद में बनायी गई मनगढ़ंत कहानियाँ है क्योंकि जिस जगह शाहजहाँ काला ताज महल बनाना चाहते थे वहाँ कई बार खुदवाई की जा चुकी है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिसे यह पता चले कि शाहजहाँ यहाँ काला ताज महल (Kala Taj Mahal) बनाने चाहते थे। ताज महल के बारे में कुछ प्रचलित मान्यता भी है। ऐसा कहा जाता है कि जिन कारीगरों ने ताज महल का निर्माण किया था शाहजहाँ ने निर्माण होने के बाद उनके कारीगरों के हाथ कटावा दिये थे। कहा जाता है कि मुमताज महल की मृत्यु का शाहजहाँ पर काफी असर पङा था, उनकी मृत्यु के बाद ही शाहजहाँ की हालत काफी खराब हो गई थी। शाहजहाँ मरते दम तक मुमताज महल को भूल नहीं पाये थे। ताज महल के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य – Taj Mahal Ke Kuchh Mahatvpurn Tathya यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुन्दरता की तस्वीर ताज महल न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। आज विश्व के सबसे सुन्दर भवनों में से एक ताज महल है। आगरा का ताज महल भारत की शान और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ताज महल की वास्तुशैली फारसी, तुर्क, भारतीय एवं इस्लामी वास्तुकला के कुटुुंब का अनोखा सम्मिलन है। सन् 1983 में यूनेस्को ने ताज महल को विश्व विरासत सूची में शामिल कर दिया। ताज महल को भारत की ’इस्लामिक कला का रत्न’ भी घोषित किया गया। इतिहासकारों ने शाहजहाँ के काल को ’मुगलकाल का स्वर्ण काल’ कहा है। हर साल ताज महल को लगभग 9 से 10 मिलियन लोग देखने आते है। 2007 में ताज महल को दुनिया के सात आश्चर्य की सूची में शामिल किया गया था। ताज महल आगरा शहर के दक्षिण छोर पर एक छोटी भूमि पर बनाया गया था। ताज महल का रहस्य – Taj Mahal Ka Rahasya सन् 1989 में भारतीय लेखक पुरुषोत्तम नागेश ओक ने “Taj Mahal : The True Story” नामक एक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में उन्होंने कई तर्कों के साथ यह दावा किया था कि ताज महल मकबरा बनने से पहले से यह एक ’शिव मन्दिर’ था और इसका नाम ’तेजो माहाल्य’ था। सन् 2000 में पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए ताज महल की साइड खुदाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अर्जी दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। हिंदू पक्ष के लोगों के अनुसार भी ताज महल वास्तव में शिव मन्दिर है, जिसका असली नाम ’तेजोमाहाल्य’ है। भारतवर्ष में 12 ज्योर्तिलिंग है, ऐसा प्रतीत होता है कि ’तेजोमाहाल्य’(ताज महल) उनमें से एक है। जिसे कि ’नागनाथेश्वर’ के नाम से जाना जाता था। क्योंकि उसकी जलहरि को नाग की तरह लपेटा हुआ बनाया गया था। जब से शाहजहाँ ने उस पर कब्जा किया उसकी पवित्रता और हिन्दूत्व समाप्त कर दिया। ताज महल की यह रहस्यमय बात है कि ताज महल कोई मकबरा नहीं है, बल्कि यह एक ’शिव मन्दिर’ है। ताज महल के मुख्य गुम्बद के शिखर पर जो आकृति वह नारियल जैसी है, उसके नीचे आम के पत्ते, उसके नीचे कलश ये सारे हिन्दू मन्दिरों की तरफ दिखते है। इतिहासकार ओक ये लिखते है कि ’महल’ कोई मुस्लिम शब्द नहीं है और अरब, ईरान, अफगानिस्तान जैसे देशों में एक भी मस्जिद ऐसी नहीं है जिनके नाम के पीछे महल लगाया गया हो। ये मत भी गलत है कि ’मुमताज महल’ के नाम पर ’ताज महल’ का नाम पङा है। ताज महल से लगभग 700 चिन्ह खोजने गए है जो बताते है कि वो पहले मन्दिर था। बाद में इस दुबारा बनाया गया। ताज महल में चारों तरफ एक समान चार प्रवेश द्वार है जो हिन्दू-भवन निर्माण का तरीका है। ताज महल में आवाज गूँजने वाला गुम्बद है, ऐसे ही हिन्दू मंदिर में भी गूँज पैदा करने वाले मन्दिर होते है। ताज महल का गुम्बद कमल के आकार का बना है और हजारों हिन्दू मन्दिर कमल की आकृति वाले होते है। इस सब आकृतियों से यह पुष्टि होती है कि ताज महल पहले एक ’शिव मन्दिर’ था। ताजमहल की नकल – Taj Mahal Ki Nakal कई देशों ने ताज महल जैसी इमारत बनाने का प्रयास भी किया, लेकिन वो हबहू ताज महल नहीं बना पाये। चीन, बांग्लादेश और कोलंबिया में ताज महल की नकल पर बनी ईमारतें मौजूद है। ऐसी ही एक ईमारत भारत में भी मौजूद है- बीबी का मकबरा। औरगंजेब के बेटे आजम शाह ने ताज महल से प्रेरित होकर अपनी माँ ’दिलरस बानो बेगम’ की याद में 17 वीं सदी के अन्त में बनवाया था। इसे ताजमहल की तर्ज पर बना गया था, लेकिन इस मकबरे का गुम्बद ताज महल के गुम्बद से छोटा है। इसका सिर्फ गुम्बद ही संगमरमर का है, बाकि निर्माण प्लास्टर का किया गया है।
। ताज महल की जानकारी – Taj Mahal ki Jankari स्थान – उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर में किस नदी पर – नर्मदा नदी किसने बनाया – शाहजहाँ ने समय – 1631-1653 ईस्वी (22 साल) किसकी याद में बनाया – मुमताज महल खर्चा – उस समय 20 लाख रुपए वास्तुकार – उस्ताद अहमद लाहौर ऊँचाई – 73 मीटर मीनारें – 4 मीनारें (40 मीटर ऊँची)ताज महल (Taj Mahal) दुनिया के सात अजूबों में से एक है जो मुगलकालीन वास्तुकला का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। ताज महल कुतुबमीनार से भी ऊँचा है, क्योंकि ताज महल की ऊँचाई 73 मीटर, जबकि कुतुबमीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर है। दुनिया का हर एक इंसान ताज महल (Taj Mahal) को देखने की चाह रखता है। इसे ’मोहब्बत का मंदिर’ कहा जाता है। यमुना नदी पर स्थित यह इमारत एक विस्मरणीय स्थल है। शाहजहाँ की सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल – 10 मई 1612 ईस्वी में शाहजहाँ और अर्जुमन्द बानो बेगम का निकाह हुआ था। शाहजहाँ ने उन्हें ’मुमताज महल’ नाम दिया अर्थात् महल का सबसे अनमोल रत्न। उस समय शाहजहाँ की सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल थी। मुगल बादशाह शाहजहाँ का शासनकाल 1628 ई. से 1658 ई. तक था। 1631 ई. में शाहजहाँ ने अनेक विजय करके अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया था। 1631 ईस्वी को मुमताज महल की मृत्यु अपने 14 वीं संतान को जन्म देते वक्त हो गई थी। मुमताज महल के शव को पहले बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) के एक बाग में दफनाया गया, लेकिन बाद में उसके अवशेषों को आगरा लाया गया तथा ताज महल के मध्य में ’मुमताज की कब्र’ बनायी गई। आम प्रचलित धारणा यह है कि इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी सबसे प्रिय एवं तीसरी बेगम मुमताज महल की मौत के बाद उनकी याद में बनवाया था। शाहजहाँ चाहते थे कि दुनिया मुमताज महल और उनकी प्रेमकथा को हमेशा याद रखे, इसलिए उनकी याद में शाहजहाँ एक ऐतिहासिक धरोहर बनाना चाहते थे, जिसमें ताज महल बनाना चाहते थे। मुमताज महल का मूल नाम था, यह आसफ खां की पुत्री थी। ताज महल (Taj Mahal) को एक वफादार आशिक का खिराज कहा जाता है। ताज महल कहाँ है – TajMahal Kahan Hai ताज महल भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर बनी एक ऐतिहासिक इमारत है। ताजमहल किसने बनवाया था – Taj Mahal Kisne Banaya Tha मुमताज महल की स्मृति में ही शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण करवाया था। ताज महल (Taj Mahal) का निर्माण 1631 में शुरू हुआ और 1653 तक चला था। ताज महल बनने में 22 साल लगे। इसके निर्माण में इतना समय इसलिए लगा क्योंकि इसके निर्माण में सहायता के लिए बगदाद तथा शिराज से हस्तकला विशेषज्ञ, गुंबद निर्माण कला के लिए कुस्तुनतुनिया से, फूल पत्ती की खुदाई हेतु बुखारा से शिखर निर्माण एवं बाग बगीचा निर्माण के लिए, समरकंद से कुशल विशेषज्ञों को बुलाकर ताज महल का निर्माण पूरा करवाया था। इसके निर्माण में उस समय शाहजहाँ ने 20 लाख रुपए का व्यय किया था। ताजमहल के निर्माण के लिए विभिन्न देशों से कारीगर शाहजहाँ द्वारा बुलवाये गये थे। इसके निर्माण में लगभग 25 हजार से भी ज्यादा मजदूर ने काम किया था। भारत के अलावा फ्रांस और टर्की के मजदूर भी सम्मिलित थे। ताज महल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने भारत, ईरान एवं मध्य एशिया से डिजाइनरों, इंजीनियरों एवं वास्तुकारों को एकत्र किया था। ताज महल के दीवारों पर जो नक्काशी है इसकी तकनीक इटली के कारीगरों से सीखी गई थी। उज्बेकिस्तान के बुखारा से संगमरमर को तराशने वाले कारीगर लाये गये थे। ईरान से संगमरमर पर सुलेख करने वाले कारीगर आये थे। पत्थर को तराशने के लिए बलूचिस्तान के कारीगरों को बुलाया गया था। दक्षिण भारत से पच्चीकारी के कारीगर इनमें शामिल थे। ताज महल की वास्तुकला में भारतीय, ईरानी एवं मध्य एशियाई वास्तुकला का संबंधित समन्वय दिखाई पङता है। ताजमहल के डिजाइनर कौन थे – Taj mahal Ka Design Kisne Banaya Tha ताज महल के वास्तुकार/डिजाइनर उस्ताद अहमद लाहौर थे, जिसे शाहजहाँ में नादिर-उल-असरार की उपाधि प्रदान की थी। उस्ताद अहमद लाहौरी की योजनानुसार इसका निर्माण कार्य ’उस्ताद ईसा खां’ की देखरेख में संपन्न कराया गया तथा ये ताज महल के प्रधान शिल्पी थे। कुछ विद्वानों के अनुसार इसकी रूपरेखा वेनिस (इटली) के प्रसिद्ध वास्तुकार जेरोनिमो वेरोनियो ने तैयार की थी। ताज महल पर कुरान की आयतें लिखने वाला सुलेखक ’अब्द अल हक अमानत खान शिराजी’ था। ताज महल के निर्माण की प्रेरणा कहाँ से मिली – Taj Mahal Ke Nirman Ki Prerna Kahan Se Mili ताज महल का निर्माण पर्शियन और प्राचीन मुगल परम्परों को ध्यान में रखते हुए किया गया। जिसमें अधिकतर प्रेरणा उन्हें मुगलकालीन दूसरी इमारतें जैसे – हुँमायूँ का मकबरा, जावा मस्जिद से मिली। शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण दिल्ली स्थित हुमायूँ के मकबरे से प्रेरित होकर करवाया था। ताज महल किस पत्थर से बना है – Taj Mahal Kis Pathar Se Bana Hai ताजमहल सफेद संगमरमर पत्थर से बना है। यह सफेद संगमरमर पत्थर राजस्थान के मकराना से मंगवाया गया था। ताज महल का डिज़ाइन – Taj Mahal Ka Design प्राचीन मुगल काल में प्रायः इमारतों का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया जाता था, लेकिन शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण सफेद संगमरमर से किया। ताज महल नदी के किनारे बना हुआ है। कहा जाता है कि 37 वास्तुकारों ने मिलकर ताज महल का नक्शा तैयार किया था, ये 37 वास्तुकार दुनिया के दूर-दूर कोने से बुलाये गये थे। ताज महल की नींव बनाते समय ताज महल के चारों ओर बहुत-से कुँए खोदे गये। इन कुँएओं में ईंट, पत्थर के साथ आबनूस और महोगनी की लकङियों के लट्ठे डाले गए। ये कुएँ ताज महल की नींव को मजबूत बनाते है। आबनूस और महोगनी की लकङियों की यह खासियत होती है कि इनको जितनी अधिक नमी मिलती है, यह उतनी ही ज्यादा मजबूत होती जाती है। ताज महल का आधार इन्हीं लकङियों पर बना है। इस नमी को पास में बहने वाली यमुना नदी बनायी रखती है। ताज महल (Taj Mahal) को जाने वाले मुख्य मार्ग के बीच जो फव्वारे लगे है वो किसी पाइप से नहीं जुङे। अभी तो हर फव्वारे के नीचे तांबे का एक टैंक है। ये टैंक एक ही समय में भरते है और दबाव बनने पर एक साथ ही पानी छोङते है। ताज महल के चारों ओर मीनारों की छाया एक अलग ही आयने जैसा प्रतिबिम्ब निर्मित करती है। इसे भी लोग एक चमत्कार ही मनाते है। बल्कि वास्तुशिल्प भी इस रहस्य को समझ नहीं पाये है। ताज महल मनमोहक गार्डन एवं ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है। ताज महल में मकबरे और मेहमानघर का भी समावेश है। साथ ही उनके दोनों और गार्डन भी है। ताज महल में दो समाधियाँ है- एक मुमताज महल की तथा दूसरी शाहजहाँ की। लगभग 17 हैक्टेयर जमीन पर ताज महल का परिसर फैला हुआ है। ताज महल की कुल ऊँचाई लगभग 73 मीटर है। ताज महल कितने रंग बदलता है – Taj Mahal Kitne Rang Badalta Hai ताज महल दिन में अलग-अलग समय में अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है। सुबह के समय ताज महल हल्का-सा गुलाब और शाम में सफेद तथा रात में हल्का सुनहरा दिखाई पङता है। लोगों का रंगों के बदलने से तात्पर्य महिलाओं के मूल स्वभाव के बदलने से है। ताजमहल के लिए विभिन्न देशों से मंगवाये गये कीमती पत्थर – Taj Mahal Ke Liye Vibhinn Deshon Se Magvaye gye kimti ptthar शाहजहाँ ने मुगल वास्तुकला के साथ भारत के प्राचीन इतिहास को मिला दिया था। देश कीमती पत्थर राजस्थान के मकराना से सफेद संगमरमर पत्थर चीन जेड और क्रिस्टल अफगानिस्तान लैपिज लजूली तिब्बत टरकोईज पंजाब जैस्पर श्रीलंका सैफायर (नीलम) अरब कार्नेलियन इन कीमती पत्थरों को ताज महल में जङा गया था। ताज महल को 28 तरह के कीमती पत्थरों से सजाया गया है, जो कई देशों से लाये गये थे। इन बहुमूल्य पत्थरों को आगरा लाने के लिए 1000 से अधिक हाथी यातायात हेतु प्रयोग किये गये थे। बाद में 1857 की क्रान्ति के दौरान अंग्रेजों ने ताज महल को काफी नुकसान पहुँचाया, उन्होंने लैपिज लजूली जैसे कई बेकिमती रत्नों को ताज महल की दीवारें से खोदकर निकाल लिया था। ताज महल के विभिन्न हिस्से – Taj Mahal Ke Vibhinn Hisse बेगम मुमताज महल एवं शाहजहाँ का मकबरा ताज महल (Taj Mahal) के केन्द्र में ’मुमताज महल का मकबरा’ है। जो लगभग 42 एकङ जमीन पर फैला हुआ है। बेगम मुमताज महल की कब्र बङी और सफेद मार्बल से बनी हुई है। उनकी कब्र को काफी अलंकृत किया गया है। इनकी कब्र का मुख दायें अर्थात् मक्का की तरफ है। मुमताज महल की कब्र आन्तरिक कक्ष में स्थित है। उनकी कब्र का आधार लगभग 55 मीटर का बना है। उनकी कब्र का आधार एवं ऊपर का शृंगार-दान दोनों ही बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों से जङे है। इस पर किया गया सुलेखन मुमताज की पहचान एवं प्रशंसा है। औरगंजेब ने शाहजहाँ की कब्र भी मुमताज महल की कब्र के पास ही बनावा दी थी। शाहजहाँ की कब्र मुमताज महल की कब्र के दक्षिण की तरफ है। ताज महल के पीछे एक बहुचर्चित कथा भी है, जिसके अनुसार मानसून की पहली वर्षा में पानी की बूँदें इनकी कब्र पर गिरती है। जैसा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर के इस मकबरे के वर्णन से प्रेरित है। गुंबद ताज महल के शीर्ष पर एक विशाल गुंबद बना हुआ है। ताज महल के मुख्य गुम्बद का जो कलश है वह किसी जमानें सोने का हुआ करता था। लेकिन 19 वीं शताब्दी के शुरू में सोेने के कलश को बदलकर कांसे का कलश लगवा दिया गया था। इसके कलश के ऊपर चंद्रमा की आकृति बनी हुई है और यह कलश त्रिशूल जैसा प्रतीत होता है जो भगवान शिव का प्रतीक है। मीनारें ताज महल की हर नींव वाले कोने में एक-एक मीनार है, चारों मीनारें मकबरे को सन्तुलन देती है। ये चारों मीनारें 40 मीटर ऊँची है, और इनको बाहर की ओर हल्का-सा झुकाव दिया गया है। ताकि ये मीनारें भूकम्प जैसी आपदा में मकबरे पर न गिरकर बाहर की ओर गिरे। दूसरे विश्व युद्ध 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद ताज महल की सुरक्षा के लिए इसके गुम्बद के चारों ओर बाँस का सुरक्षा घेरा बनाकर इसे हरे रंग की चादर से ढक दिया गया था। ताकि ये दुश्मनों की नजर से बचा रहे। ताज महल पर लिखे गए सुंदर लेख ताज महल के मुख्य दरवारे पर एक सुलेख लिखा जो वहाँ आने वालों का स्वागत करता है – ’’हे आत्मा ! तू ईश्वर के पास विश्राम कर। ईश्वर के पास शांति के साथ रहे तथा उसकी परम शांति तुझ पर बरसे।” यह सुलेख थुलूट लिपि में है, इसको डिजाइन करने वाला ’अब्दुल हक’ था। जिसे ईरान से बुलाया गया था। शाहजहाँ ने उसकी चकाचौंध करने वाली कला को देखकर उसे उपाधि के तौर पर ’अमानत उल खाँ’ का नाम दिया। ताज महल में बनी छतरियाँ ताज महल के विशाल गुबंद को सहारा देने के लिए छोटे-छोटे आकार की छतरियाँ बनी हुई है। इन छतरियों द्वारा ही मुमताज महल के मकबरे पर शानदार रोशनी पङती है। काले ताज महल का रहस्य – Kale Taj Mahal Ka Rahasya शाहजहाँ यमुना नदी के दूसरी तरफ काली संगमरमर से ताज महल जैसा ही एक और काला ताज महल बनाना चाहते थे, जिससे वो ताज महल की खूबसूरती को देख सके। साथ ही उनकी इच्छा थी कि उनकी कब्र को काले ताज महल में दफनाया जाये। पर शाहजहाँ को जब उसके बेटे औरगंजेब ने कैद कर लिया, तो उसका ये सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया। लेकिन इतिहासकार कहते है कि ये बाद में बनायी गई मनगढ़ंत कहानियाँ है क्योंकि जिस जगह शाहजहाँ काला ताज महल बनाना चाहते थे वहाँ कई बार खुदवाई की जा चुकी है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिसे यह पता चले कि शाहजहाँ यहाँ काला ताज महल (Kala Taj Mahal) बनाने चाहते थे। ताज महल के बारे में कुछ प्रचलित मान्यता भी है। ऐसा कहा जाता है कि जिन कारीगरों ने ताज महल का निर्माण किया था शाहजहाँ ने निर्माण होने के बाद उनके कारीगरों के हाथ कटावा दिये थे। कहा जाता है कि मुमताज महल की मृत्यु का शाहजहाँ पर काफी असर पङा था, उनकी मृत्यु के बाद ही शाहजहाँ की हालत काफी खराब हो गई थी। शाहजहाँ मरते दम तक मुमताज महल को भूल नहीं पाये थे। ताज महल के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य – Taj Mahal Ke Kuchh Mahatvpurn Tathya यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुन्दरता की तस्वीर ताज महल न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। आज विश्व के सबसे सुन्दर भवनों में से एक ताज महल है। आगरा का ताज महल भारत की शान और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ताज महल की वास्तुशैली फारसी, तुर्क, भारतीय एवं इस्लामी वास्तुकला के कुटुुंब का अनोखा सम्मिलन है। सन् 1983 में यूनेस्को ने ताज महल को विश्व विरासत सूची में शामिल कर दिया। ताज महल को भारत की ’इस्लामिक कला का रत्न’ भी घोषित किया गया। इतिहासकारों ने शाहजहाँ के काल को ’मुगलकाल का स्वर्ण काल’ कहा है। हर साल ताज महल को लगभग 9 से 10 मिलियन लोग देखने आते है। 2007 में ताज महल को दुनिया के सात आश्चर्य की सूची में शामिल किया गया था। ताज महल आगरा शहर के दक्षिण छोर पर एक छोटी भूमि पर बनाया गया था। ताज महल का रहस्य – Taj Mahal Ka Rahasya सन् 1989 में भारतीय लेखक पुरुषोत्तम नागेश ओक ने “Taj Mahal : The True Story” नामक एक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में उन्होंने कई तर्कों के साथ यह दावा किया था कि ताज महल मकबरा बनने से पहले से यह एक ’शिव मन्दिर’ था और इसका नाम ’तेजो माहाल्य’ था। सन् 2000 में पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए ताज महल की साइड खुदाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अर्जी दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। हिंदू पक्ष के लोगों के अनुसार भी ताज महल वास्तव में शिव मन्दिर है, जिसका असली नाम ’तेजोमाहाल्य’ है। भारतवर्ष में 12 ज्योर्तिलिंग है, ऐसा प्रतीत होता है कि ’तेजोमाहाल्य’(ताज महल) उनमें से एक है। जिसे कि ’नागनाथेश्वर’ के नाम से जाना जाता था। क्योंकि उसकी जलहरि को नाग की तरह लपेटा हुआ बनाया गया था। जब से शाहजहाँ ने उस पर कब्जा किया उसकी पवित्रता और हिन्दूत्व समाप्त कर दिया। ताज महल की यह रहस्यमय बात है कि ताज महल कोई मकबरा नहीं है, बल्कि यह एक ’शिव मन्दिर’ है। ताज महल के मुख्य गुम्बद के शिखर पर जो आकृति वह नारियल जैसी है, उसके नीचे आम के पत्ते, उसके नीचे कलश ये सारे हिन्दू मन्दिरों की तरफ दिखते है। इतिहासकार ओक ये लिखते है कि ’महल’ कोई मुस्लिम शब्द नहीं है और अरब, ईरान, अफगानिस्तान जैसे देशों में एक भी मस्जिद ऐसी नहीं है जिनके नाम के पीछे महल लगाया गया हो। ये मत भी गलत है कि ’मुमताज महल’ के नाम पर ’ताज महल’ का नाम पङा है। ताज महल से लगभग 700 चिन्ह खोजने गए है जो बताते है कि वो पहले मन्दिर था। बाद में इस दुबारा बनाया गया। ताज महल में चारों तरफ एक समान चार प्रवेश द्वार है जो हिन्दू-भवन निर्माण का तरीका है। ताज महल में आवाज गूँजने वाला गुम्बद है, ऐसे ही हिन्दू मंदिर में भी गूँज पैदा करने वाले मन्दिर होते है। ताज महल का गुम्बद कमल के आकार का बना है और हजारों हिन्दू मन्दिर कमल की आकृति वाले होते है। इस सब आकृतियों से यह पुष्टि होती है कि ताज महल पहले एक ’शिव मन्दिर’ था। ताजमहल की नकल – Taj Mahal Ki Nakal कई देशों ने ताज महल जैसी इमारत बनाने का प्रयास भी किया, लेकिन वो हबहू ताज महल नहीं बना पाये। चीन, बांग्लादेश और कोलंबिया में ताज महल की नकल पर बनी ईमारतें मौजूद है। ऐसी ही एक ईमारत भारत में भी मौजूद है- बीबी का मकबरा। औरगंजेब के बेटे आजम शाह ने ताज महल से प्रेरित होकर अपनी माँ ’दिलरस बानो बेगम’ की याद में 17 वीं सदी के अन्त में बनवाया था। इसे ताजमहल की तर्ज पर बना गया था, लेकिन इस मकबरे का गुम्बद ताज महल के गुम्बद से छोटा है। इसका सिर्फ गुम्बद ही संगमरमर का है, बाकि निर्माण प्लास्टर का किया गया है।
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